मैं अभी-अभी Lou का ब्लॉग पढ़ रहा था जो उनकी जवानी के समय से संबंधित था । आश्चर्य की बात यह है कि अमेरिका में रहते हुए भी वो अपनी कहानी में उस समय का जिक्र करते है जब मेरे पिताजी और दादाजी पैसे बचाने के बारे में मुझे समझाया करते थे। Lou मेरे पिताजी के हम उम्र ही हैं तो यह माना जा सकता है कि वह समय अमेरिका और भारत में (या शायद पूरे विश्व में) एक साथ ही आया था। या यह भी कहा जा सकता है कि शायद लोग, पहले समय में, कम ही कमाया करते थे और उनके खर्च भी कम ही थे।
यद्यपि मेरे पास कोई प्रमाण नहीं है पर मुझे इसका संबंध सीधा पूंजीवाद (या Capitalism) से लगता है। सौभाग्य से मैं उस समय में बड़ा हुआ जब टेक्नोलॉजी भारत में सामान्य लोगो तक पहुँचनी शुरू हो गई थी। तो मैंने वह भी समय देखा है जब लोगो में प्रतिस्पर्धा तो थी परंतु बेचैनी कम थी। लोग ज़्यादा धैर्य रखते थे। ग़रीबी भी थी पर जलन और ईर्ष्या फैलाने वाले लोग और माध्यम भी कम थे। हमेशा की तरह चोर और अपराधी भी थे परंतु ज्यादातर लोग धर्म (righteousness, not religion) का पालन करते थे। डॉक्टर्स को भगवान का रूप कहा जाता था।
आज का समय इसके विपरीत है। लोगो की वार्षिक आय में वृद्धि भी हुई है और उनके अंदर की हीन भावना में भी। अब लोग पहले से कई गुना ज़्यादा कमाते है, क्योकि चीजे महंगी भी है, पर शायद संतुष्टि नहीं मिलती। दुखद बात यह है कि लोग अपनी असंतुष्टि की भावनाओं को कम करने के लिए इंटरनेट के माध्यम से स्वयं को बेहतर दिखाने लगे। इंस्टाग्राम (Instagram) जैसे ऐप्स ने लोगो का फ़ायदा उठाते हुए इस बर्ताव को बढ़ावा दिया। परिणाम यह हुआ कि ये भावना और भी मजबूत हो गई जिसका लोगो के मन और शरीर पर सीधा प्रभाव देखने को मिलता है।
इस असंतुष्टि का असर मानसिक होने के साथ सामाजिक भी है। ज़्यादा कमाने की दौड़ में ज़्यादा लोग अधर्म का मार्ग अपनाने लगे। कहीं डॉक्टर्स के किडनी चुराने की कहानी सुनने को मिली तो कहीं भिकारी माफिया की। जब पूंजीवाद डॉक्टर्स, वकील, जज और इंजीनियर्स तक को भ्रष्ट कर सकता है तो भिकारीयों, अपराधीयों, और नेताओं की तो क्या ही बात करे, क्योंकि ये बेचारे तो पढ़ लिख भी नहीं पाते।
यह बदलाव एक दो दिन में नहीं हुआ बल्कि इसे कई साल लगे। मेरे अनुभव के हिसाब से क़रीब 10-12 सालो पहले समाज में बड़े परिवर्तन आए। उधारण के लिए WHO की रिपोर्ट के हिसाब से भारत में महिलाओं कि अकानूनी-सी-सेक्शन के द्वारा प्रजनन की संख्या में वृद्धि इसी समय से देखी गई, अकानुनी प्रवासियों (illegal migration) की संख्या में भी इसी समय में वृद्धि देखी गई।
आप कह सकते है की यह मात्र मेरी कल्पना है पर आश्चर्य की बात यह है कि internet के द्वारा capitalism को बढ़ावा इसी समय में दिया गया। इसको राजनीति से जोड़ कर भी देखा जा सकता है पर मुझे नहीं लगता की किसी एक सरकार पर इसका अपराध गढ़ा जा सकता है। यह एक बड़ी शक्ति है जिसका प्रभाव पूरे विश्व पर दिखता है। ना ही इसके लिए इंटरनेट को बाध्य बनाया जा सकता है क्योंकि इंटरनेट ने विश्व को जोड़ा और हमे कहीं नई सुविधाएं प्रदान की। इसका सीधा कारण है Facebook और Instagram जैसे बड़े व्यापारिक कंपनियाँ। मैं स्वयं इनसे एक-दो सालों से दूर ही हूँ और देख सकता हूँ कि कैसे यह मेरे परिवार को प्रभावित करता है। तो मैं आपको भी यही सुझाव दूँगा की दुनिया की सुंदरता को जाने, किताबे पढ़े, खेले, घूमने जाए पर इन Facebook और Instagram जैसे मनोरंजन से बचें।